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सेकंड हैंड गाड़ी खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें

आज के समय में बहुत से लोग सेकंड हैंड कार खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि यह नई गाड़ी के मुकाबले किफ़ायती होती है और कई बार अच्छे कंडीशन में भी मिल जाती है। लेकिन, अगर सही तरीके से जांच-पड़ताल ना की जाए तो नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, इस्तेमाल की हुई कार खरीदते समय कुछ अहम बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है।

1. गाड़ी के डॉक्यूमेंट्स की जांच

किसी भी सेकंड हैंड गाड़ी को खरीदने से पहले उसके कागजात अच्छे से चेक करना बेहद ज़रूरी है।

  • आर.सी. (RC Book) – यह सुनिश्चित करें कि कार का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट ओरिजिनल है और उसमें मालिक का नाम सही लिखा हुआ है।
  • इंश्योरेंस पेपर – देखें कि गाड़ी का इंश्योरेंस एक्टिव है या नहीं। अगर कार क्लेम-फ्री है तो और बेहतर रहेगा।
  • पॉल्यूशन सर्टिफिकेट – यह भी ध्यान रखें कि कार के पास वैध PUC सर्टिफिकेट हो।
  • फाइनेंस क्लियरेंस – अगर गाड़ी लोन पर खरीदी गई थी, तो यह चेक करना ज़रूरी है कि बैंक का लोन पूरी तरह से क्लियर हुआ है या नहीं।

2. गाड़ी की फिजिकल कंडीशन

गाड़ी बाहर से देखने में नई लगे लेकिन असली कंडीशन इंजन और बॉडी में छुपी होती है।

  • बॉडी इंस्पेक्शन – कार के बॉडी पैनल, डोर, और बोनट को अच्छे से देखें। कहीं रिपेयर या पेंटिंग के निशान तो नहीं हैं।
  • इंजन की आवाज़ – इंजन स्टार्ट करते ही अगर आवाज़ असामान्य लगे, तो सावधान हो जाएं।
  • टायर और ब्रेक – टायर घिसे हुए हैं या अच्छे कंडीशन में हैं, यह जांचें। साथ ही ब्रेकिंग स्मूथ है या नहीं।
  • मीटर रीडिंग – कई बार गाड़ी की ओडोमीटर रीडिंग (किलोमीटर) से छेड़छाड़ की जाती है। अगर कार बहुत कम चली हुई बताई जा रही है लेकिन कंडीशन पुरानी लगती है, तो शक करें।

3. टेस्ट ड्राइव ज़रूर लें

सेकंड हैंड कार खरीदने से पहले टेस्ट ड्राइव करना ज़रूरी है।

  • ड्राइव करते समय गाड़ी की पिकअप, ब्रेक, गियर शिफ्टिंग और सस्पेंशन पर ध्यान दें।
  • अगर गाड़ी साइड में खिंच रही है या स्टियरिंग सही नहीं लग रही, तो यह किसी दुर्घटना का संकेत हो सकता है।
  • एसी, म्यूजिक सिस्टम और अन्य फीचर्स भी जांचें कि सब ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं।

4. सर्विस हिस्ट्री देखें

हर गाड़ी की सर्विस हिस्ट्री बहुत मायने रखती है। अगर मालिक ने समय-समय पर सर्विसिंग करवाई है तो गाड़ी लंबे समय तक अच्छा परफॉर्म करेगी।

  • कंपनी सर्विस सेंटर से सर्विस हिस्ट्री चेक की जा सकती है।
  • हिस्ट्री से पता चलेगा कि गाड़ी का सही मेंटेनेंस हुआ है या नहीं।

5. कीमत का सही मूल्यांकन

अक्सर लोग सेकंड हैंड कार की कीमत ज्यादा बोल देते हैं। इसलिए, गाड़ी खरीदने से पहले मार्केट वैल्यू पता करें।

  • ऑनलाइन पोर्टल्स (जैसे CarDekho, OLX, Cars24) पर गाड़ी का मॉडल, वेरिएंट और साल डालकर सही कीमत पता करें।
  • नेगोशिएशन (मोलभाव) करने से भी आप अच्छी डील पा सकते हैं।

6. मेकैनिक से जांच करवाएं

अगर आप खुद एक्सपर्ट नहीं हैं, तो एक भरोसेमंद मेकैनिक को साथ ले जाएं।

  • मेकैनिक इंजन, गियरबॉक्स, चेसिस और इलेक्ट्रिकल पार्ट्स की सही तरीके से जांच कर सकता है।
  • इससे आपको गाड़ी की असली हालत पता चल जाएगी।

7. ओनरशिप ट्रांसफर

गाड़ी खरीदने के बाद सबसे अहम कदम है ओनरशिप ट्रांसफर करना।

  • RTO ऑफिस में फॉर्म भरकर मालिक का नाम बदलवाना ज़रूरी है।
  • इंश्योरेंस भी अपने नाम पर ट्रांसफर कराना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो।

निष्कर्ष

सेकंड हैंड गाड़ी खरीदना एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसके लिए सही जानकारी और सतर्कता की ज़रूरत है। हमेशा गाड़ी के डॉक्यूमेंट्स, कंडीशन, सर्विस हिस्ट्री और कीमत पर ध्यान दें। अगर आप जल्दीबाज़ी में कार खरीद लेंगे तो बाद में नुकसान हो सकता है। सही जांच-पड़ताल करने के बाद ही डील फाइनल करें, तभी आपकी सेकंड हैंड कार एक फायदे का सौदा साबित होगी।

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